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Swami Vivekananda


सच को कहने के हजारों तरीके हो सकते हैं और फिर भी सच तो वही रहता है|
दिल और दिमाग के टकराव में दिल की सुनो।
दुनिया एक महान व्यायामशाला है, जहाँ हम खुद को मजबूत बनाने के लिए आते हैं।
मनुष्य जितना अपने अंदर से करुणा, दयालुता और प्रेम से भरा होगा, वह संसार को भी उसी तरह पायेगा।
दिन-रात अपने मस्तिष्क को, उच्चकोटि के विचारो से भरो। जो फल प्राप्त होगा वह निश्चित ही अनोखा होगा।
केवल उन्हीं का जीवन, जीवन है जो दूसरों के लिए जीते हैं। अन्य सब तो जीवित होने से अधिक मृत हैं।
आकांक्षा, अज्ञानता और असमानता – यह बंधन की त्रिमूर्तियां हैं।
जितना बड़ा संघर्ष होगा, जीत उतनी ही शानदार होगी।

उठो, जागो और जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो जाये तब तक मत रुको।
ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है।
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दिन में कम से कम एक बार खुद से जरूर बात करें अन्यथा आप एक उत्कृष्ट व्यक्ति के साथ एक बैठक गँवा देंगे।
जब तक आप खुद पर विश्वास नहीं करते तब तक आप ईश्वर पर विश्वास नहीं कर सकते।
जिस समय जिस काम के लिए प्रतिज्ञा करो, ठीक उसी समय पर उसे करना ही चाहिये, नहीं तो लोगो का विश्वास उठ जाता है।
ज्ञान स्वयं में वर्तमान है, मनुष्य केवल उसका आविष्कार करता है।
जब तक जीना, तब तक सीखना, अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है।
पवित्रता, धैर्य और उद्यम – ये तीनों गुण मैं एक साथ चाहता हूं।

जो अग्नि हमें गर्मी देती है, हमें नष्ट भी कर सकती है। यह अग्नि का दोष नहीं है।
हम जो बोते हैं वो काटते हैं। हम स्वयं अपने भाग्य के निर्माता हैं।
हम हमेशा अपनी कमज़ोरी को अपनी शक्ति बताने की कोशिश करते हैं,अपनी भावुकता को प्रेम कहते हैं और अपनी कायरता को धैर्य।
जब लोग तुम्हे गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, कि तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं।
शक्ति जीवन है, निर्बलता मृत्यु है। विस्तार जीवन है, संकुचन मृत्यु है। प्रेम जीवन है, द्वेष मृत्यु है।
चिंतन करो, चिंता नहीं; नए विचारों को जन्म दो।
जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है – शारीरिक, बौद्धिक या मानसिक। उसे जहर की तरह त्याग दो।
वह आदमी अमरत्व तक पहुंच गया है जो किसी भी चीज़ से विचलित नहीं होता है।

मौन, क्रोध की सर्वोत्तम चिकित्सा है।
शिक्षा व्यक्ति में अंतर्निहित पूर्णता की अभिव्यक्ति है।
जीवन का रहस्य केवल आनंद नहीं बल्कि अनुभव के माध्यम से सीखना है।
मन की एकाग्रता ही समग्र ज्ञान है।
कर्म योग का रहस्य है कि बिना किसी फल की इच्छा के कर्म करना है, यह भगवान कृष्ण द्वारा श्रीमद्भगवद्गीता में बताया गया है।
यदि हमें गौरव से जीने का भाव जगाना है, अपने अंतर्मन में राष्ट्रभक्ति के बीज को पल्लवित करना है तो राष्ट्रीय तिथियों का आश्रय लेना होगा।
उस ज्ञान उपार्जन का कोई लाभ नहीं जिसमे समाज का कल्याण न हो।
जिसके साथ श्रेष्ठ विचार रहते हैं, वह कभी भी अकेला नहीं रह सकता।